भारत-चीन व्यापार: व्यापार घाटे को कम करने की दिशा में कदम
भारत और चीन के बीच व्यापार संबंधों में सुधार की संभावनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में चीन ने भारत को अधिक प्रीमियम उत्पादों के निर्यात के लिए अपने बाजार को खोलने की पेशकश की है। यह कदम भारत-चीन व्यापार घाटे को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है, जो वर्तमान में $99.2 बिलियन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
चीन के राजदूत झू फेइहोंग ने भारत को एक पारदर्शी और गैर-भेदभावपूर्ण व्यापारिक माहौल प्रदान करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को व्यापारिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए संवाद और सहयोग की आवश्यकता है। इसके साथ ही, उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।
भारत और चीन के बीच व्यापार घाटे को कम करने के लिए यह पहल दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में मदद कर सकती है। उम्मीद है कि यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापारिक संतुलन स्थापित करने में सहायक होगा।
**भारत-चीन व्यापार में हाल के विकास:**
1. **व्यापार मात्रा**: वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार $127.7 बिलियन तक पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 के $118.4 बिलियन से अधिक है।
2. **व्यापार घाटा**: वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा रिकॉर्ड $99.2 बिलियन तक बढ़ गया। यह गिरावट निर्यात में 14.5% की कमी ($14.25 बिलियन) और आयात में 11.52% की वृद्धि ($113.45 बिलियन) के कारण हुई।
3. **आयात**: भारत ने चीन से इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन बैटरियों, सोलर सेल्स और औद्योगिक वस्तुओं का आयात किया, जो इन क्षेत्रों में चीन का वर्चस्व दर्शाता है।
4. **निर्यात**: भारत ने चीन को लौह अयस्क, समुद्री उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पाद और जैविक रसायनों का निर्यात किया।
5. **चिंताएं**: चीन द्वारा "डंपिंग" की आशंका है, जहां कम कीमत पर वस्तुएं बेची जाती हैं, जिससे भारत के घरेलू उद्योग प्रभावित हो सकते हैं।
6. **भविष्य की दिशा**: व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए चीन ने भारत से अधिक प्रीमियम उत्पाद आयात करने की इच्छा जताई है।
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