कूनो राष्ट्रीय उद्यान से एक दुखद खबर सामने आई है। हाल ही में जंगल में छोड़े गए एक चीते के शावक की मात्र एक दिन बाद ही मृत्यु हो गई। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह शावक कुछ समय से निगरानी में था और उसे प्राकृतिक वातावरण में स्वतंत्र रूप से जीवन जीने के लिए छोड़ा गया था। लेकिन अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई और चिकित्सकीय प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अफ्रीकी चीता परियोजना के तहत पिछले कुछ वर्षों से कई चीते लाए गए हैं, जिनका उद्देश्य भारत में विलुप्त हो चुके चीता प्रजाति को पुनः स्थापित करना है। इस परियोजना के तहत शावकों को धीरे-धीरे जंगल में छोड़ा जाता है ताकि वे प्राकृतिक परिस्थितियों में ढल सकें। हालांकि, इस शावक की असमय मृत्यु ने वन्यजीव संरक्षण प्रयासों पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। वन विभाग ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है और विशेषज्ञों की टीम यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि शावक की मौत का वास्तविक कारण क्या था। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, अचानक स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं या पर्यावरणीय दबावों के चलते यह घटना हुई हो ...
तमिलनाडु में मंदिरों में दीपक जलाने को लेकर शुरू हुए विवाद ने राजनीतिक रंग ले लिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य सरकार पर मंदिर परंपराओं की अनदेखी का आरोप लगाया था। इस पर मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने तीखा जवाब देते हुए कहा कि भाजपा राज्य सरकार पर आरोप लगाने के बजाय केंद्र सरकार की जिम्मेदारियों पर ध्यान दे। उन्होंने स्पष्ट किया कि तमिलनाडु सरकार धार्मिक परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहरों का सम्मान करती है और किसी भी प्रकार की राजनीति से ऊपर उठकर जनता की भावनाओं का ध्यान रखती है। स्टालिन ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विवाद केवल राजनीतिक लाभ के लिए खड़ा किया गया है। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह मंदिरों और धार्मिक संस्थानों के लिए आवश्यक संसाधन और सहयोग सुनिश्चित करे। मुख्यमंत्री ने यह भी दोहराया कि तमिलनाडु की जनता अपनी परंपराओं और धार्मिक आस्थाओं को लेकर पूरी तरह जागरूक है और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। इस विवाद ने राज्य की राजनीति में नई बहस को जन्म दिया है, जहाँ एक ओर भाजपा इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़ रही है, वहीं दू...