हरियाणा में इस समय खाद की गंभीर कमी ने किसानों को संकट में डाल दिया है। धान की बुवाई का समय चल रहा है, लेकिन यूरिया और डीएपी जैसे जरूरी उर्वरक कई जिलों में उपलब्ध नहीं हैं। किसान सुबह से शाम तक कतारों में खड़े रहते हैं, फिर भी उन्हें खाद नहीं मिल रही। कुछ जगहों पर तो पुलिस की मौजूदगी में खाद बांटी जा रही है, जिससे हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं। सरकार का कहना है कि पर्याप्त खाद मौजूद है और मांग के अनुसार वितरण किया जा रहा है। लेकिन ज़मीनी हकीकत अलग है—कई किसान रजिस्ट्रेशन के बावजूद खाद नहीं पा रहे, और कुछ दुकानदारों पर जमाखोरी और टैगिंग (बंडल में जबरन अन्य उत्पाद बेचने की कोशिश) के आरोप लगे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि समय से पहले बारिश के कारण बुवाई जल्दी शुरू हो गई, जिससे मांग बढ़ गई। साथ ही, ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकरण की अनिवार्यता ने कई किसानों को परेशान किया है। राजनीतिक दलों ने सरकार पर खाद वितरण में विफलता का आरोप लगाया है। कांग्रेस और INLD नेताओं ने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है। कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं, और कुछ मामलों में...
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (HSGPC) में इन दिनों नेतृत्व और संविधान को लेकर गहरी खींचतान चल रही है। इस विवाद की जड़ में अध्यक्ष जगदीश सिंह झींडा द्वारा सभी उप-समितियों और उनके अध्यक्षों को भंग करने का निर्णय है, जिसे उन्होंने संगठन में अनुशासन और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लिया बताया। उनका कहना है कि कई नवनिर्वाचित सदस्यों की मांग थी कि नई नियुक्तियाँ की जाएँ जो वर्तमान जनादेश के अनुरूप हों। वहीं दूसरी ओर, पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष बलजीत सिंह दादूवाल ने इस कदम को असंवैधानिक और समिति के नियमों के खिलाफ बताया है। दादूवाल का दावा है कि उप-समितियाँ एक वैध कार्यकारिणी बैठक में बनाई गई थीं, जिसमें झींडा स्वयं उपस्थित थे और दस सदस्यों ने हस्ताक्षर कर सहमति दी थी। केवल एक सदस्य बैठक से पहले ही जा चुका था, जिससे कोरम पूरा था। ऐसे में दादूवाल का कहना है कि अध्यक्ष अकेले इन समितियों को भंग नहीं कर सकते। यह विवाद केवल प्रशासनिक नहीं है, बल्कि यह संगठन की आत्मा और दिशा को लेकर भी है। झींडा जहाँ खुद को सुधारवादी नेता के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, वहीं दादूवाल संविधान की गरिमा और स...