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गुलाम नबी आजाद बने हरियाणा कांग्रेस प्रभारी

लंबे समय से बगैर प्रभारी के चल रही हरियाणा कांग्रेस को प्रभारी मिल गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को हरियाणा कांग्रेस की कमान सौंपी गई है। गुलाम नबी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नजदीकियों में गिने जाते हैं। पहले शकील अहमद हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी थे। इसके बाद कमलनाथ को यहां का प्रभार मिला, लेकिन गुटों में बंटी कांग्रेस एक न हो सकी।
तीन राज्यों में हुई जीत के बाद हरियाणा से कांग्रेस आलाकमान को सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं। ऐसे में कांग्रेस की अंदरूनी कलह कहीं हार का कारण न बन जाए। इस बात पर हरियाणा कांग्रेस के कई बड़े नेता राहुल गांधी को चेता भी चुके हैं। अब बहुत सूझबूझ के बाद गुलाम नबी को हरियाणा की कमान दी गई है। माना जा रहा है कि गुलाम नबी के हरियाणा प्रभारी बनने के बाद कांग्रेस छोड़ कर गए कुछ बड़े कांग्रेसी नेता भी पार्टी में वापस आ सकते हैं।

नए प्रभारी के बाद फेरबदल संभव!हरियाणा में लोकसभा चुनाव सिर पर है, लेकिन संगठन नहीं है। जिला और ब्लाक स्तर पर संगठन की जिम्मेदारी तय होना आवश्यक है। ऐसे में संगठन में बदलाव की चर्चाएं तेज हो गई हैं। संभव है हरियाणा के जींद उपचुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष भी बदला जाए। ऐसे में नया संगठन खड़ा करने की चुनौती भी नए प्रदेश अध्यक्ष के सामने होगी।

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  हरियाणा किसान कांग्रेस के सोशल मीडिया समन्वयक परमिंदर सिंह भांबा ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए सरकार से अपील की है। उन्होंने कहा कि अनाज मंडियों में किसानों की फसल का सही वजन नहीं हो रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा, कई स्थानों पर आगजनी की घटनाओं के कारण किसानों की फसलें नष्ट हो रही हैं।  परमिंदर सिंह भांबा ने सरकार से आग्रह किया कि किसानों की मेहनत का उचित मूल्य दिया जाए और उनके नुकसान का मुआवजा जल्द से जल्द प्रदान किया जाए। यह बयान उन्होंने रविवार, 20 अप्रैल को अपने निवास स्थान पर आयोजित एक बैठक के दौरान दिया।  इस बैठक में पार्टी के प्रचार-प्रसार को ध्यान में रखते हुए युवा साथियों के साथ चर्चा की गई। बैठक में संजय मराठा, सतिंदर राणा, जगदीप मट्टू, नरिंदर सिविया, जोरावर सिंह, राहुल शर्मा सहित अन्य प्रमुख सदस्य उपस्थित थे।  किसानों के मुद्दों को लेकर यह बैठक एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। उम्मीद है कि सरकार इन समस्याओं पर ध्यान देगी और किसानों को राहत प्रदान करेगी।

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 ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग द्वारा बैसाखी (खालसा साजना दिवस) का पर्व एआईसीसी मुख्यालय, 24 अकबर रोड, नई दिल्ली में श्रद्धा और उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से स. गुरदीप सिंह सप्पल जी (प्रशासन प्रभारी, कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य)  तथा राज्यसभा सांसद और एआईसीसी अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन श्री इमरान प्रतापगढ़ी जी की गरिमामयी उपस्थिति रही। देश के सभी राज्यों में से सिख समाज और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इस पावन अवसर पर एआईसीसी अल्पसंख्यक विभाग द्वारा गुरुद्वारा बंगला साहिब में रुमाला साहिब की सेवा भी श्रद्धा भाव से की गई। कार्यक्रम का आयोजन स. महेन्दर सिंह वोहरा (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, एआईसीसी अल्पसंख्यक विभाग), ज्योति माथुरू (उपाध्यक्ष राज्य अल्पसंख्यक आयोग झारखंड), स. लखबीर सिंह भाटिया, प्रो. बलबीर सिंह गुरोन, नवरूप सिंह डालेके, नवनीत सिंह गांधी, हरमिंदर सिंह, देविंदरपाल सिंह, डॉ दिलीप कांबले, परमिंदर सिंह भाम्बा  एवं रविंदर सिंह सलूजा सहित कई वरिष्ठ सदस्यों द्वारा किया गया।

कपास आयात शुल्क माफी पर किसान कांग्रेस का विरोध: "भारतीय किसानों का भविष्य खतरे में" — परमिंदर सिंह भांबा

  करनाल, हरियाणा | 20 अगस्त 2025 — केंद्र सरकार द्वारा अमेरिकी कपास सहित कच्चे कपास के आयात पर शुल्क माफ करने के फैसले ने देशभर के किसानों में चिंता की लहर पैदा कर दी है। इस नीति के खिलाफ किसान कांग्रेस सोशल मीडिया हरियाणा के राज्य संयोजक परमिंदर सिंह भांबा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। परमिंदर सिंह भांबा ने कहा,   “यह निर्णय भारतीय कपास किसानों के भविष्य को बर्बाद कर देगा। इससे अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए भारत के दरवाज़े खुल जाएंगे, जो धीरे-धीरे हमारे किसानों को बाजार से बाहर कर देंगे।” सरकार ने 19 अगस्त से 30 सितंबर तक कपास आयात पर 11% शुल्क और कृषि अवसंरचना विकास उपकर (AIDC) को अस्थायी रूप से हटाने की घोषणा की है। यह कदम अमेरिकी वस्त्र टैरिफ के जवाब में उठाया गया है, जिससे घरेलू वस्त्र उद्योग को राहत मिलने की उम्मीद है। लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि यह नीति केवल उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाएगी, जबकि खेतों में पसीना बहाने वाले किसानों को नुकसान होगा। भांबा ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने आयात पर नियंत्रण नहीं रखा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी नहीं दी, तो देश के ...