Skip to main content

रफ़ाल मामले पर देश के प्रतिष्ठित पत्रकार और ‘द हिन्दू’ के संपादक एन राम ने सोमवार को एक और धमाका किया




भ्रष्टाचार से लड़ने का दावा करने वाली सरकार ने रफ़ाल सौदे से हटाए थे भ्रष्टाचार विरोधी प्रावधान

रफ़ाल मामले पर देश के प्रतिष्ठित पत्रकार और ‘द हिन्दू’ के संपादक एन राम ने सोमवार को एक और धमाका किया। उन्होंने अपनी ख़बर में इस बात का ज़िक्र किया है कि रफ़ाल सौदे में मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार विरोधी प्रावधान को ख़त्म कर दिया था। साथ ही, भारत सरकार ने एस्क्रो खाते के ज़रिए दसॉ कंपनी को भुगतान करने से भी इनकार कर दिया था। सरकार के इन दो बड़े फ़ैसलों पर सरकार के ही वरिष्ठ अधिकारियों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। लेकिन सरकार ने इसकी अनदेखी कर दी।



एन राम ने अपनी ख़बर में लिखा है कि रक्षा ख़रीद परिषद (डीएसी), जिसके प्रमुख उस समय के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर थे, ने सितंबर 2016  में एक बैठक की और अंतरदेशीय क़रार में 8 बदलाव करने पर अपनी मुहर लगाई। इस बैठक के पहले 24 अगस्त, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में कैबिनेट के सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक हुई थी, जिसमें इन बदलावों की सिफ़ारिश की गई थी। ‘द हिन्दू’ अख़बार लिखता है कि इनमें सबसे महत्वपूर्ण बदलाव यह था कि रक्षा उपकरण देने वाली कंपनी अगर किसी तरह का अनावश्यक दबाव किसी एजेंट या एजेंसी या कमीशन के द्वारा डालती है और कंपनी के खाते में घुसपैठ करती तो उसको इसकी सज़ा दी जाती। रक्षा ख़रीद के मामलों में जो नियम बने हैं, उसमें इस प्रावधान को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है।

सरकार की दलील यह थी कि चूँकि दो सरकारों के बीच क़रार किया जा रहा था, इसलिए ऐसे किसी दंड या ज़ुर्माने की ज़रूरत नहीं थी। लेकिन, भारत सरकार की तरफ़ से दसॉ कंपनी से बात करने वाली टीम के सात में से तीन सदस्यों ने सरकार के इस कदम की आलोचना की और अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी।

‘द हिन्दू’ अख़बार लिखता है कि भारत की तरफ से बातचीत करने वाली टीम के सदस्य थे- एम. पी. सिंह, सलाहकार (खर्च), ए. आर. सुले, वित्तीय प्रबंधक (वायु) और राजीव वर्मा, संयुक्त सचिव, खरीद प्रबंधक (वायु)। इन लोगों का कहना था कि दो देशों के बीच क़रार के बावजूद पैसा निजी कंपनी को दिया जाना था, यानी दसॉ को मिलना था। ऐसे में इस मामले में वित्तीय समझदारी के लिए क़रार में भ्रष्टाचार विरोधी प्रावधान रखना जरूरी था। हम यह बता दें कि रक्षा खरीद प्रक्रिया के तहत किसी भी रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार विरोधी प्रावधानों को रखना अनिवार्य होता है। ऐसे में मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार विरोधी प्रावधानों को हटाने का फ़ैसला क्यों किया, यह समझ से परे हैं, क्योंकि इन प्रावधानों के रहने से दसॉ कंपनी पर एक तरह का अंकुश बना रहता और इस बात की आशंका कम होती कि दसॉ किसी तरह की गड़बड़ी करने की ज़ुर्रत करती और वह ऐसा करती तो भारत सरकार का पक्ष मजबूत होता।



‘द हिन्दू’ अख़बार के मुताबिक़, मोदी सरकार के एक और फ़ैसले पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। अमूमन, रक्षा सौदों में जिस देश की कंपनी होती है, वहां की सरकार एक संप्रभु गारंटी खरीदने वाली सरकार को देती है ताकि रक्षा उपकरण बेचने वाली कंपनी कोई गड़बड़ी करे तो वहां की सरकार उसकी भरपाई करे या उस कंपनी को गड़बड़ी करने से रोके। रफ़ाल सौदे में सबसे हैरानी की बात यह है कि भारत सरकार की तरफ से न तो संप्रभु गारंटी माँग की गई, न ही बैंक गारंटी माँगी गई। फ्रांस की सरकार की तरफ से ‘लेटर ऑफ़ कंफर्ट’ दिया गया, जो वहां के प्रधानमंत्री ने 8 सितंबर 2016 को जारी किया था। यह ‘लेटर ऑफ कंफर्ट’ एक तरह से फ्रांस की सरकार की तरफ से दिया हुआ आश्वासन था कि यदि दसॉ कंपनी रक्षा उपकरण देने में नाकाम रहती है और ऐसी स्थिति में उसे मिला हुआ पैसा वह भारत सरकार को वापस नहीं कर पाती है तो फ्रांस की सरकार ऐसे कदम उठाएगी, जिससे भारत सरकार को पूरा पैसा वापस मिल जाए। जैसा कि साफ़ है लेटर ऑफ़ कंफर्ट सिर्फ एक आश्वासन होता है, उसकी कोई क़ानूनी वैधता नहीं होती है।

इतना ही नहीं, मोदी सरकार ने दसॉ के भुगतान के लिए एसक्रो अकाउंट खोलने से भी इनकार कर दिया। 24 अगस्त 2016 को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने इस पर अपनी मुहर लगा दी। एसक्रो अकाउंट का अर्थ यह होता है कि ख़रीदने वाली कंपनी या सरकार पैसा एक ऐसे अकाउंट में जमा करती है, जिसमें जब तक वह न कहे, तब तक सप्लाई करने वाली कंपनी को भुगतान नहीं होता है।

रक्षा मंत्रालय में वित्तीय सलाहकार सुंधाशु मोहांती ने एसक्रो अकाउंट की वकालत की थी। यह एसक्रो अकाउंट फ़्रांसीसी सरकार के ज़रिए चलना था। मोहांती का कहना था कि चूँकि भारत सरकार के पास रफ़ाल सौदे में न तो संप्रभु गारंटी है न ही बैंक गारंटी है, ऐसे में दसॉ को मिलने वाले पैसों के भुगतान के लिए फ्रांसीसी सरकार को जोड़ना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए एसक्रो अकाउंट या इस तरीके का कोई और खाता खोला जाए। यानी, सुधांशु मोहांती यह चाहते थे कि भारत सरकार और फ़्रांसीसी सरकार के बीच एक ऐसा क़रार हो, जिसमें फ्रांस की सरकार भारतीय पैसे की अमानत ले। यानी जब तक भारत सरकार न कहे तब तक फ्रांस की सरकार दसॉ को भुगतान करने के लिए न कहे। यानी एक तरह से भारतीय पैसे के लिए फ्रांस की सरकार गारंटर का काम करती और अगर भारत सरकार दसॉ के दिए विमान से संतुष्ट नहीं होती या सौदे में किसी तरह की गड़बड़ी होती तो भारत सरकार फ्रांस से कह कर भुगतान तसकती थी। पर न जाने क्यों, मोहांती की इस सलाह को दरकिनार कर दिया गया।

Comments

Popular posts from this blog

हरियाणा किसान कांग्रेस के सोशल मीडिया समन्वयक परमिंदर सिंह भांबा ने किसानों के मुद्दों पर चिंता व्यक्त की

  हरियाणा किसान कांग्रेस के सोशल मीडिया समन्वयक परमिंदर सिंह भांबा ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए सरकार से अपील की है। उन्होंने कहा कि अनाज मंडियों में किसानों की फसल का सही वजन नहीं हो रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा, कई स्थानों पर आगजनी की घटनाओं के कारण किसानों की फसलें नष्ट हो रही हैं।  परमिंदर सिंह भांबा ने सरकार से आग्रह किया कि किसानों की मेहनत का उचित मूल्य दिया जाए और उनके नुकसान का मुआवजा जल्द से जल्द प्रदान किया जाए। यह बयान उन्होंने रविवार, 20 अप्रैल को अपने निवास स्थान पर आयोजित एक बैठक के दौरान दिया।  इस बैठक में पार्टी के प्रचार-प्रसार को ध्यान में रखते हुए युवा साथियों के साथ चर्चा की गई। बैठक में संजय मराठा, सतिंदर राणा, जगदीप मट्टू, नरिंदर सिविया, जोरावर सिंह, राहुल शर्मा सहित अन्य प्रमुख सदस्य उपस्थित थे।  किसानों के मुद्दों को लेकर यह बैठक एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। उम्मीद है कि सरकार इन समस्याओं पर ध्यान देगी और किसानों को राहत प्रदान करेगी।

ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग द्वारा बैसाखी (खालसा साजना दिवस) का पर्व एआईसीसी मुख्यालय, 24 अकबर रोड, नई दिल्ली में श्रद्धा और उत्साहपूर्वक मनाया गया।

 ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग द्वारा बैसाखी (खालसा साजना दिवस) का पर्व एआईसीसी मुख्यालय, 24 अकबर रोड, नई दिल्ली में श्रद्धा और उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से स. गुरदीप सिंह सप्पल जी (प्रशासन प्रभारी, कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य)  तथा राज्यसभा सांसद और एआईसीसी अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन श्री इमरान प्रतापगढ़ी जी की गरिमामयी उपस्थिति रही। देश के सभी राज्यों में से सिख समाज और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इस पावन अवसर पर एआईसीसी अल्पसंख्यक विभाग द्वारा गुरुद्वारा बंगला साहिब में रुमाला साहिब की सेवा भी श्रद्धा भाव से की गई। कार्यक्रम का आयोजन स. महेन्दर सिंह वोहरा (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, एआईसीसी अल्पसंख्यक विभाग), ज्योति माथुरू (उपाध्यक्ष राज्य अल्पसंख्यक आयोग झारखंड), स. लखबीर सिंह भाटिया, प्रो. बलबीर सिंह गुरोन, नवरूप सिंह डालेके, नवनीत सिंह गांधी, हरमिंदर सिंह, देविंदरपाल सिंह, डॉ दिलीप कांबले, परमिंदर सिंह भाम्बा  एवं रविंदर सिंह सलूजा सहित कई वरिष्ठ सदस्यों द्वारा किया गया।

कपास आयात शुल्क माफी पर किसान कांग्रेस का विरोध: "भारतीय किसानों का भविष्य खतरे में" — परमिंदर सिंह भांबा

  करनाल, हरियाणा | 20 अगस्त 2025 — केंद्र सरकार द्वारा अमेरिकी कपास सहित कच्चे कपास के आयात पर शुल्क माफ करने के फैसले ने देशभर के किसानों में चिंता की लहर पैदा कर दी है। इस नीति के खिलाफ किसान कांग्रेस सोशल मीडिया हरियाणा के राज्य संयोजक परमिंदर सिंह भांबा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। परमिंदर सिंह भांबा ने कहा,   “यह निर्णय भारतीय कपास किसानों के भविष्य को बर्बाद कर देगा। इससे अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए भारत के दरवाज़े खुल जाएंगे, जो धीरे-धीरे हमारे किसानों को बाजार से बाहर कर देंगे।” सरकार ने 19 अगस्त से 30 सितंबर तक कपास आयात पर 11% शुल्क और कृषि अवसंरचना विकास उपकर (AIDC) को अस्थायी रूप से हटाने की घोषणा की है। यह कदम अमेरिकी वस्त्र टैरिफ के जवाब में उठाया गया है, जिससे घरेलू वस्त्र उद्योग को राहत मिलने की उम्मीद है। लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि यह नीति केवल उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाएगी, जबकि खेतों में पसीना बहाने वाले किसानों को नुकसान होगा। भांबा ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने आयात पर नियंत्रण नहीं रखा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी नहीं दी, तो देश के ...