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परमिंदर सिंह भांबा: लेखनी से आंदोलन तक, किसानों और समाज की निडर आवाज

 

करनाल , हरियाणा – 28 सितंबर 2025  

परमिंदर सिंह भांबा, एक प्रखर लेखक और सामाजिक अभियान रणनीतिकार, आज के भारत में जनचेतना, किसान अधिकारों और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की सशक्त आवाज बन चुके हैं। लेखक के रूप में उन्होंने कई प्रभावशाली पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें PRICELESS: The Hidden Luxuries of a Life Well-Lived, Marriages: The Silent Revolution in Human Life, और Power & Change: How Politics Has Shaped the World from the 15th Century to Today शामिल हैं। इन पुस्तकों में उन्होंने जीवन की अदृश्य खुशियों, संबंधों की गहराई और सत्ता के ऐतिहासिक प्रभावों को भावनात्मक और दार्शनिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है। उनकी अन्य रचनाएँ The Lion of Harmony और The Last Letter भी पाठकों को आत्मिक संतुलन और विरासत के मूल्यों की ओर प्रेरित करती हैं।

परमिंदर सिंह भाम्बा की प्रकाशित पुस्तकें


परमिंदर सिंह भांबा की पहचान केवल एक लेखक तक सीमित नहीं है। वे किसान कांग्रेस के हरियाणा राज्य सोशल मीडिया समन्वयक के रूप में भी सक्रिय हैं और उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान डिजिटल मंचों पर किसानों की आवाज को मजबूती से उठाया। उन्होंने तीन कृषि कानूनों को “तीन काले कानून” कहकर सोशल मीडिया पर निरंतर विरोध दर्ज किया और जनजागरण अभियान चलाया। उनके पोस्टों ने हजारों लोगों को आंदोलन की सच्चाई से जोड़ा और किसानों की पीड़ा, सरकारी नीतियों की समीक्षा और न्याय की मांग को भावनात्मक और रणनीतिक रूप से प्रस्तुत किया।


सुरिंदर सोलंकी जी के साथ गिरफ़्तारी की परमिंदर सिंह भाम्बा की एक तस्वीर 



किसान आंदोलन के दौरान उनकी ज़मीनी भागीदारी भी उल्लेखनीय रही। उन्होंने करनाल टोल प्लाज़ा पर किसान नेतृत्व के आह्वान पर एक दिवसीय उपवास रखा, भारत बंद में सक्रिय भागीदारी की और टोल प्लाज़ा मुक्त अभियान में सहयोग किया। इसके अतिरिक्त, दिल्ली स्थित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) कार्यालय में उन्होंने किसान कांग्रेस के तत्कालीन कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी जी के साथ गिरफ़्तारी दी, जो किसानों के समर्थन में एक साहसी और ऐतिहासिक कदम था।


उनकी राजनीतिक लेखनी भी जनभावना को गहराई से छूती है। उन्होंने GST जैसे मुद्दों पर हिंदी में अभियान लेख लिखे, H-1B वीज़ा शुल्क पर प्रतीकात्मक ब्लॉग तैयार किया, और सिख धर्मस्थलों की रक्षा के लिए जनभावना को शब्दों में ढाला। उनकी लेखनी में तथ्य, भाव और प्रतीकात्मकता का ऐसा समावेश होता है जो जनमानस को प्रभावित करता है और सामाजिक संवाद को दिशा देता है।


परमिंदर सिंह भांबा की रचनात्मकता और सामाजिक सक्रियता आज के भारत में एक प्रेरणा है। वे न केवल विचारों से क्रांति लाते हैं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर न्याय, विरासत और जनचेतना के लिए संघर्ष करते हैं। उनकी पुस्तकों और आंदोलन में भागीदारी ने यह सिद्ध किया है कि जब शब्द और कर्म एक साथ चलते हैं, तो बदलाव अवश्य आता है।


आज भारत को निडर और सच बोलने वाली आवाज़ों की बहुत ज़रूरत है।  हम आप तक भांबा जैसे छुपे हुए हीरे लाते रहेंगे,  क्योंकि ऐसे लोग समाज को बेहतर बनाने के लिए प्रेरणा होते हैं।

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