मधेपुरा, बिहार —
बिहार विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) द्वारा मधेपुरा सीट से शांतनु यादव का टिकट काटे जाने से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। शांतनु यादव, जो दिवंगत समाजवादी नेता शरद यादव के पुत्र हैं, को पहले इस सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की उम्मीद थी। लेकिन अंतिम समय में पार्टी ने टिकट प्रोफेसर चंद्रशेखर को दे दिया, जिससे यादव परिवार और उनके समर्थकों में गहरा आक्रोश फैल गया।
शांतनु यादव ने इस फैसले को “राजनीतिक साज़िश” करार देते हुए कहा, “हम यहां झांझ-मंजीरा बजाने नहीं आए हैं।” वहीं उनकी बहन सुभाषिनी यादव ने सोशल मीडिया पर तीखा हमला करते हुए लिखा कि यह निर्णय शरद यादव की विरासत के साथ विश्वासघात है और RJD ने उनके योगदान को अनदेखा किया है। उन्होंने इसे परिवार के सम्मान और विपक्षी एकता के मूल्यों पर चोट बताया।
शरद यादव ने 2022 में अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का विलय RJD में किया था, ताकि महागठबंधन को मज़बूती मिले। ऐसे में उनके बेटे को टिकट न देना न सिर्फ एक राजनीतिक निर्णय माना जा रहा है, बल्कि इसे नैतिकता और पारदर्शिता की कसौटी पर भी तौला जा रहा है।
RJD नेतृत्व ने इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। तेजस्वी यादव ने शांतनु से मुलाकात की, लेकिन टिकट वापसी की कोई घोषणा नहीं हुई। स्थानीय कार्यकर्ता भी इस फैसले को लेकर बंटे हुए हैं—कुछ शांतनु के समर्थन में हैं, तो कुछ चंद्रशेखर की योग्यता को प्राथमिकता दे रहे हैं।
यह घटनाक्रम महागठबंधन की आंतरिक राजनीति और विपक्षी एकता की दिशा पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह सिर्फ एक टिकट नहीं, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा और विरासत की रक्षा का सवाल बन गया है।
Comments
Post a Comment