गिफ्ट सिटी का आईएफएससी बना वैश्विक वित्तीय केंद्र, 35 बैंकों की मौजूदगी और 100 अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति
गिफ्ट सिटी का आईएफएससी बना वैश्विक वित्तीय केंद्र, 35 बैंकों की मौजूदगी और 100 अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति
अहमदाबाद। गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) स्थित इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) तेजी से एक वैश्विक वित्तीय हब के रूप में उभर रहा है। महज कुछ वर्षों में ही यह केंद्र अंतरराष्ट्रीय निवेशकों और वित्तीय संस्थानों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, यहां अब तक 35 बैंक सक्रिय हो चुके हैं और इनके पास कुल संपत्ति 100 अरब डॉलर से अधिक हो गई है। यह उपलब्धि भारत को वैश्विक वित्तीय मानचित्र पर एक नई पहचान दिला रही है।
आईएफएससी अथॉरिटी (IFSCA) के अध्यक्ष के. राजारामन ने कहा कि गिफ्ट सिटी का आईएफएससी भारत की विकास गाथा में पूंजी जुटाने का एक अहम माध्यम बन रहा है। उनके अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था को बुनियादी ढांचे, विनिर्माण और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में भारी निवेश की आवश्यकता है और आईएफएससी इस दिशा में वैश्विक पूंजी को आकर्षित करने का महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म साबित हो रहा है।
गिफ्ट सिटी की स्थापना का उद्देश्य भारत को दुबई और सिंगापुर जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्रों की तर्ज पर विकसित करना था। विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में यहां 1,000 से अधिक वित्तीय संस्थाओं का पंजीकरण हो चुका है और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। इसमें बैंकिंग, बीमा, पूंजी बाजार, एसेट मैनेजमेंट और फिनटेक कंपनियाँ शामिल हैं।
आईएफएससी में न केवल विदेशी बैंकों की मौजूदगी बढ़ी है बल्कि भारतीय बैंकों ने भी यहां अपनी अंतरराष्ट्रीय शाखाएँ स्थापित की हैं। इससे विदेशी मुद्रा लेन-देन, बॉन्ड इश्यू और अंतरराष्ट्रीय निवेश को नई गति मिली है। इसके अलावा, सरकार ने आईएफएससी को कर संबंधी कई रियायतें और नियामकीय लचीलापन प्रदान किया है, जिससे यह वैश्विक निवेशकों के लिए और अधिक आकर्षक बन गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में गिफ्ट सिटी का आईएफएससी भारत की वित्तीय प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बन जाएगा और यह न केवल विदेशी निवेश आकर्षित करेगा बल्कि भारत को वैश्विक वित्तीय शक्ति के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगा।
निष्कर्षतः, गिफ्ट सिटी का आईएफएससी अब केवल एक महत्वाकांक्षी परियोजना नहीं रहा, बल्कि यह भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक वित्तीय एकीकरण का प्रतीक बन चुका है।
Comments
Post a Comment