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करनाल में 4 करोड़ की लागत से बनी सड़क दो महीने में धंसी, निर्माण गुणवत्ता पर उठे सवाल

 

करनाल में 4 करोड़ की लागत से बनी सड़क दो महीने में धंसी, निर्माण गुणवत्ता पर उठे सवाल




करनाल। हरियाणा के करनाल ज़िले में हाल ही में बनी एक सड़क ने प्रशासन और ठेकेदारों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। करीब 4 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई यह सड़क महज़ दो महीने में ही जगह-जगह से धंस गई, जिससे न केवल यातायात प्रभावित हुआ बल्कि स्थानीय लोगों की सुरक्षा पर भी संकट खड़ा हो गया। यह सड़क मानपुरा मोड़ से बाल पबाना मार्ग पर बनाई गई थी और इसे नाबार्ड योजना के तहत तैयार किया गया था

ग्रामीणों का कहना है कि सड़क निर्माण के दौरान घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया और गुणवत्ता मानकों की अनदेखी की गई। सड़क धंसने से कई जगह गहरे गड्ढे बन गए हैं, जिसके कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। हाल ही में एक बाइक सवार युवक गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसके बाद ग्रामीणों का गुस्सा और बढ़ गया। उन्होंने प्रशासन से निर्माण सामग्री की जांच और जिम्मेदार अधिकारियों व ठेकेदारों पर कार्रवाई की मांग की है।

जानकारी के अनुसार, इस मार्ग पर दो महीने पहले ही सीमेंट ब्लॉकों को उखाड़कर दोबारा लगाया गया था। लेकिन ठेकेदार और संबंधित विभाग की लापरवाही के कारण यह ब्लॉक अब जगह-जगह से नीचे धंस गए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए गए, जबकि सड़क टिकाऊ नहीं बन पाई।

इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आया है। अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया और कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी। यदि निर्माण में गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित ठेकेदार और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को सरकार की विकास कार्यों में पारदर्शिता की कमी से जोड़ते हुए तीखा हमला बोला है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सड़क ग्रामीणों के लिए मुख्य संपर्क मार्ग है और इसके धंसने से उनकी रोज़मर्रा की आवाजाही प्रभावित हो रही है। किसानों को अपनी फसल मंडियों तक पहुँचाने में दिक्कत हो रही है और स्कूली बच्चों को भी जोखिम उठाकर इस मार्ग से गुजरना पड़ रहा है।

 करनाल में 4 करोड़ की लागत से बनी सड़क का महज़ दो महीने में धंस जाना न केवल निर्माण गुणवत्ता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सार्वजनिक धन के उपयोग में जवाबदेही और निगरानी की भारी कमी है। अब देखना यह होगा कि सरकार और प्रशासन इस मामले में कितनी सख्ती दिखाते हैं और दोषियों को किस हद तक जवाबदेह ठहराते हैं।


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