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सूडान संघर्ष: सूडान के नॉर्थ कोर्डोफान प्रांत की राजधानी एल-ओबेद में पैरामिलिट्री हमले में कम से कम 40 नागरिकों की मौत हो गई। संयुक्त राष्ट्र ने मानवीय संकट पर चिंता जताई है



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ख़ास रिपोर्ट: सूडान के नॉर्थ कोर्डोफान प्रांत की राजधानी एल-ओबेद में पैरामिलिट्री हमले में कम से कम 40 नागरिकों की मौत हुई है। संयुक्त राष्ट्र ने इस घटना को लेकर गहरी चिंता जताई है और चेतावनी दी है कि क्षेत्र में मानवीय संकट और गहराता जा रहा है।

सूडान में दो साल से जारी संघर्ष अब नए इलाकों तक फैल चुका है। ताज़ा घटना में नॉर्थ कोर्डोफान प्रांत की राजधानी एल-ओबेद में सोमवार को एक अंतिम संस्कार के दौरान हमला हुआ। स्थानीय मीडिया और संयुक्त राष्ट्र की मानवीय एजेंसी (OCHA) के अनुसार, इस हमले में कम से कम 40 नागरिकों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए। रिपोर्टों में कहा गया है कि हमले में पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्सेज़ (RSF) ने ड्रोन स्ट्राइक का इस्तेमाल किया, जिससे भीड़ में अफरा-तफरी मच गई।

संयुक्त राष्ट्र ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि कॉर्डोफान और पड़ोसी दारफुर क्षेत्र अब सूडान के युद्ध का नया केंद्र बन गए हैं। OCHA ने चेतावनी दी है कि यहां की मानवीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है और लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का कहना है कि खाद्य सामग्री, दवाइयों और सुरक्षित आश्रय की भारी कमी है, जिससे नागरिकों की स्थिति और भी गंभीर हो गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला सूडान में चल रहे सत्ता संघर्ष का हिस्सा है, जिसमें सूडानी सेना और RSF के बीच पिछले दो वर्षों से खूनी टकराव जारी है। सेना राजधानी खार्तूम और नील नदी के किनारे वाले क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए हुए है, जबकि RSF ने दारफुर और दक्षिणी हिस्सों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है। अब एल-ओबेद जैसे रणनीतिक शहरों पर हमले से संकेत मिलता है कि संघर्ष और भी व्यापक हो सकता है।
  
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस हमले की निंदा की है और सभी पक्षों से तुरंत हिंसा रोकने की अपील की है। मानवीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि हालात पर काबू नहीं पाया गया तो सूडान में भुखमरी और विस्थापन का सबसे बड़ा संकट पैदा हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की गई है कि वे राहत सामग्री और कूटनीतिक दबाव के ज़रिए स्थिति को संभालने में मदद करें।

  
एल-ओबेद में हुआ यह हमला सूडान के संघर्ष की भयावहता को और उजागर करता है। 40 से अधिक नागरिकों की मौत, दर्जनों घायल और लाखों विस्थापित—ये आंकड़े बताते हैं कि यह केवल एक क्षेत्रीय संघर्ष नहीं, बल्कि एक गहरा मानवीय संकट है। अब सवाल यह है कि क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय समय रहते हस्तक्षेप कर पाएगा या सूडान और गहरे अराजकता में डूब जाएगा।


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