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लंदन में हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन गोपीचंद हिंदुजा का निधन, 85 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा

 

लंदन में हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन गोपीचंद हिंदुजा का निधन, 85 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा

लंदन। हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन और ब्रिटेन के सबसे धनी उद्योगपतियों में शुमार गोपीचंद हिंदुजा का मंगलवार को लंदन के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 85 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। गोपीचंद हिंदुजा, जिन्हें कारोबारी जगत में स्नेहपूर्वक “जीपी” कहा जाता था, ने अपने जीवनकाल में हिंदुजा ग्रुप को एक वैश्विक औद्योगिक साम्राज्य में बदलने में अहम भूमिका निभाई। उनके निधन के साथ ही लगभग 35 अरब पाउंड (करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये) के साम्राज्य की बागडोर अब अगली पीढ़ी के हाथों में जाएगी।

गोपीचंद हिंदुजा का जन्म एक पारंपरिक सिंधी व्यापारी परिवार में हुआ था और उन्होंने 1959 में अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत की। अपने बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा के साथ मिलकर उन्होंने 1980 के दशक में लंदन को कारोबार का केंद्र बनाया और हिंदुजा ग्रुप को एक साधारण ट्रेडिंग कंपनी से बहु-क्षेत्रीय वैश्विक समूह में तब्दील कर दिया। आज हिंदुजा ग्रुप का कारोबार 30 से अधिक देशों में फैला हुआ है और इसमें करीब दो लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। समूह का दायरा ऑटोमोबाइल, ऊर्जा, बैंकिंग, स्वास्थ्य सेवा, रसायन और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों तक फैला हुआ है।

गोपीचंद हिंदुजा ने मई 2023 में अपने बड़े भाई श्रीचंद हिंदुजा के निधन के बाद समूह की कमान संभाली थी। उनके नेतृत्व में हिंदुजा ग्रुप ने न केवल भारत बल्कि यूरोप, मध्य-पूर्व और अमेरिका में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। वे भारतीय मूल के उन उद्योगपतियों में शामिल थे जिन्होंने वैश्विक स्तर पर भारतीय व्यापारिक कौशल और दृष्टिकोण को नई पहचान दिलाई।

उनके निधन पर वैश्विक कारोबारी जगत में शोक की लहर है। उद्योग जगत के नेताओं ने उन्हें एक दूरदर्शी और साहसी उद्यमी बताया, जिन्होंने परंपरा और आधुनिकता का संतुलन साधते हुए हिंदुजा ग्रुप को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। गोपीचंद हिंदुजा अपने पीछे पत्नी सुनीता, दो बेटे संजय और धीरज तथा बेटी रीता को छोड़ गए हैं।

गोपीचंद हिंदुजा का जाना न केवल हिंदुजा परिवार के लिए बल्कि वैश्विक कारोबारी जगत के लिए भी एक बड़ी क्षति है। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि किस तरह दूरदृष्टि, मेहनत और साहस से एक पारिवारिक व्यवसाय को वैश्विक साम्राज्य में बदला जा सकता है।

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