बिहार विधानसभा चुनावों में बढ़ती गर्मी: प्रवासी मतदाता, महिला योजनाएं और नीतीश कुमार की सेहत बनी चर्चा का केंद्र
बिहार विधानसभा चुनावों में बढ़ती गर्मी: प्रवासी मतदाता, महिला योजनाएं और नीतीश कुमार की सेहत बनी चर्चा का केंद्र
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक माहौल तेजी से गर्म हो रहा है। इस बार चुनावी समीकरणों में एक नया पहलू सामने आया है—प्रवासी मजदूरों और कामगारों की भूमिका। कोविड-19 महामारी के दौरान अपने गांव लौटे लाखों प्रवासी अब राज्य में ही रहकर मतदान करने की तैयारी में हैं, जिससे कई सीटों पर वोटिंग पैटर्न में बदलाव की संभावना जताई जा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये प्रवासी मतदाता स्थानीय मुद्दों और रोजगार की स्थिति को ध्यान में रखते हुए मतदान करेंगे, जिससे पारंपरिक जातीय समीकरणों पर असर पड़ सकता है।
इस चुनाव में महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए विभिन्न दलों ने विशेष योजनाएं पेश की हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन ने ‘महिला सशक्तिकरण योजना’ के तहत आर्थिक सहायता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने की बात कही है, वहीं विपक्षी दलों ने ‘महिला सुरक्षा और शिक्षा’ को अपना प्रमुख मुद्दा बनाया है। इसके अलावा, युवाओं और महिलाओं के बीच वोटों के बंटवारे को लेकर भी रणनीति बन रही है। कई सीटों पर युवा उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर दलों ने युवा वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सेहत भी इस बार चुनावी चर्चा का विषय बनी हुई है। हाल ही में उनकी सार्वजनिक उपस्थिति में कमी और कुछ स्वास्थ्य संबंधी अटकलों ने विपक्ष को निशाना साधने का मौका दिया है। हालांकि जदयू ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री पूरी तरह स्वस्थ हैं और चुनावी तैयारियों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
बिहार चुनावों में इस बार मुद्दों की विविधता और मतदाताओं की बदलती प्राथमिकताएं एक नया राजनीतिक परिदृश्य रच रही हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन-सा दल इन बदलावों को भुनाने में सफल होता है।
Comments
Post a Comment