ढाका से बड़ी खबर:
बांग्लादेश में राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता विरोधी अपराधों के आरोप लगाए गए हैं और अदालत ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई है। इस फैसले ने पूरे देश में राजनीतिक भूचाल ला दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं।
शेख हसीना लंबे समय तक बांग्लादेश की राजनीति में प्रमुख चेहरा रही हैं। उनके नेतृत्व में देश ने आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग में कई उपलब्धियाँ हासिल कीं। हालांकि, विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने उनके शासनकाल में राजनीतिक दमन, विरोधियों पर कार्रवाई और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए।
अदालत ने कहा कि शेख हसीना पर लगे आरोप गंभीर हैं और इन्हें मानवता विरोधी अपराध की श्रेणी में रखा गया है। फैसले के बाद राजधानी ढाका और अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। समर्थक इस निर्णय को राजनीतिक प्रतिशोध बता रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे न्याय की जीत कह रहा है।
- अमेरिका और यूरोपीय संघ ने इस फैसले पर चिंता जताई है और कहा है कि बांग्लादेश में न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
- संयुक्त राष्ट्र ने इस मामले की निगरानी शुरू कर दी है और कहा है कि किसी भी सज़ा को मानवाधिकार मानकों के अनुरूप होना चाहिए।
- पड़ोसी देशों भारत और नेपाल ने स्थिति पर नज़र बनाए रखने की बात कही है।
यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति को और अस्थिर कर सकता है। देश में पहले से ही आर्थिक संकट और सामाजिक असंतोष बढ़ रहा है। यदि स्थिति नियंत्रण से बाहर होती है तो इसका असर पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ सकता है
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