हरित तकनीक में चीन की तेज़ बढ़त: सौर पैनल और ईवी बैटरियों के निर्यात से वैश्विक जलवायु राजनीति में बदलाव
बीजिंग, 11 नवंबर 2025 — चीन ने हरित तकनीक के क्षेत्र में अपनी पकड़ को और मज़बूत करते हुए सस्ते सौर पैनलों और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बैटरियों के निर्यात को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ा दिया है। यह तकनीकी और व्यापारिक उभार वैश्विक जलवायु राजनीति को नया आकार दे रहा है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका कुछ जलवायु प्रतिबद्धताओं से पीछे हटता दिख रहा है।
चीन के सौर पैनल और ईवी बैटरियां अब दुनिया भर में सबसे किफायती और सुलभ विकल्प बन चुके हैं। अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण एशिया जैसे विकासशील क्षेत्रों में इन उत्पादों की मांग तेज़ी से बढ़ रही है, जिससे वहां की सरकारें पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों से हटकर स्वच्छ ऊर्जा की ओर अग्रसर हो रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की यह रणनीति न केवल उसके तकनीकी नेतृत्व को स्थापित कर रही है, बल्कि जलवायु परिवर्तन के वैश्विक प्रयासों में भी उसकी भूमिका को निर्णायक बना रही है। अमेरिका के कुछ जलवायु समझौतों से पीछे हटने के बाद, चीन ने खुद को एक जिम्मेदार और अग्रणी हरित शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है।
चीन की कंपनियां अब बड़े पैमाने पर बैटरी उत्पादन और सौर तकनीक में निवेश कर रही हैं, जिससे वैश्विक कीमतें गिर रही हैं और नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है। इसके साथ ही, चीन ने कई देशों के साथ हरित ऊर्जा सहयोग समझौते भी किए हैं, जो उसकी दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा हैं।
यह हरित तकनीकी उभार न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर रहा है। भारत जैसे देश, जो हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के प्रयासों में लगे हैं, चीन के इन उत्पादों से लाभ उठा सकते हैं, लेकिन साथ ही घरेलू उत्पादन और तकनीकी आत्मनिर्भरता को भी मज़बूती देने की आवश्यकता है।
चीन की यह हरित क्रांति अब केवल तकनीक तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह वैश्विक कूटनीति और व्यापार नीति का भी अहम हिस्सा बन चुकी है।
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