झारखंड में बड़ा स्वास्थ्य घोटाला: असुरक्षित रक्त चढ़ाने से छह थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे एचआईवी संक्रमित
झारखंड में बड़ा स्वास्थ्य घोटाला: असुरक्षित रक्त चढ़ाने से छह थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे एचआईवी संक्रमित
रांची। झारखंड से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे देश की स्वास्थ्य व्यवस्था और रक्त बैंकिंग प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य के चाईबासा ज़िले में थैलेसीमिया से पीड़ित छह बच्चों को असुरक्षित रक्त चढ़ाने के कारण एचआईवी संक्रमण हो गया। यह घटना न केवल चिकित्सा लापरवाही का गंभीर उदाहरण है, बल्कि भारत की रक्त आपूर्ति प्रणाली में मौजूद खामियों को भी उजागर करती है।
जानकारी के अनुसार, इन बच्चों का नियमित रक्त आधान (ब्लड ट्रांसफ्यूजन) स्थानीय रक्त बैंक से किया जा रहा था। परिजनों का आरोप है कि संक्रमित रक्त की आपूर्ति के कारण ही बच्चों को एचआईवी हुआ। मामले के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया और राज्य सरकार ने तत्काल जांच के आदेश दिए। रांची से एक पाँच सदस्यीय चिकित्सकीय दल चाईबासा भेजा गया है, जो रक्त बैंक की कार्यप्रणाली और संक्रमण के स्रोत की जांच कर रहा है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस घटना को बेहद गंभीर बताते हुए संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। प्रारंभिक जांच में लापरवाही पाए जाने पर जिला सिविल सर्जन सहित कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, प्रभावित परिवारों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना किसी एक जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की रक्त बैंकिंग प्रणाली में मौजूद प्रणालीगत विफलता (systemic failure) का संकेत है। पीपुल्स हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (इंडिया) ने इस मामले को “नीतिगत पंगुता और प्रशासनिक दिवालियापन” करार दिया है और केंद्र सरकार से रक्त व अंगों के अवैध व्यापार पर सख्त प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को जीवनभर नियमित रक्त आधान की आवश्यकता होती है। ऐसे में रक्त की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। लेकिन इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कई रक्त बैंकों में सख्त जाँच मानकों का पालन नहीं किया जा रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में ऐसे हादसे और भी बड़े पैमाने पर सामने आ सकते हैं।
यह मामला न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है कि स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित किए बिना मरीजों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती। अब देखना यह होगा कि सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियाँ इस त्रासदी से सबक लेकर रक्त बैंकिंग प्रणाली में कितने ठोस सुधार करती हैं।
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