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वैश्विक निवेशकों का ध्यान इन दिनों कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित कंपनियों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय फंड्स विशेष रूप से चीन, कोरिया और ताइवान की उन कंपनियों में निवेश कर रहे हैं, जो एआई तकनीक के शुरुआती लाभार्थी मानी जा रही हैं। इन देशों में एआई अनुसंधान, चिप निर्माण और तकनीकी नवाचार को लेकर बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित हो रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि एआई तकनीक आने वाले वर्षों में वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार बनने जा रही है और यही कारण है कि निवेशक शुरुआती लाभार्थियों पर दांव लगा रहे हैं। चीन और कोरिया में सेमीकंडक्टर उद्योग तथा ताइवान में चिप निर्माण कंपनियाँ इस समय निवेशकों की पहली पसंद बनी हुई हैं।
इसके विपरीत, भारत फिलहाल इस दौड़ में पीछे दिखाई दे रहा है। निवेशकों का मानना है कि भारत में एआई से जुड़ी कंपनियों का विकास अभी शुरुआती चरण में है और यहाँ पर्याप्त नीतिगत समर्थन तथा अनुसंधान ढाँचे की कमी है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि भारत समय रहते एआई अनुसंधान और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देता है तो आने वाले वर्षों में वह भी वैश्विक निवेश का बड़ा केंद्र बन सकता है।
यह प्रवृत्ति साफ संकेत देती है कि एआई तकनीक केवल तकनीकी क्षेत्र ही नहीं बल्कि वैश्विक निवेश और आर्थिक रणनीति का भी अहम हिस्सा बन चुकी है।

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