हिमालयी राष्ट्र भूटान इन दिनों विश्वभर का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, जहाँ ग्लोबल पीस प्रेयर फेस्टिवल 2025 का आयोजन आध्यात्मिकता, शांति और वैश्विक एकता के संदेश के साथ किया जा रहा है। यह ऐतिहासिक आयोजन थिम्पू और पारो के बौद्ध मठों में हो रहा है, जहाँ भूटान के धार्मिक नेता, अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक प्रतिनिधि, और शांति कार्यकर्ता एकत्रित होकर विश्व शांति के लिए सामूहिक प्रार्थनाएँ कर रहे हैं।
फेस्टिवल का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक संवाद मंच बन चुका है जहाँ जलवायु संकट, युद्ध, और सांस्कृतिक विघटन जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हो रहा है। भूटान ने इस आयोजन के माध्यम से स्वयं को एक "आध्यात्मिक मध्यस्थ" के रूप में प्रस्तुत किया है, जो वैश्विक तनावों के बीच संतुलन और करुणा का मार्ग दिखा सकता है।
इस फेस्टिवल में जापान, तिब्बत, भारत, नेपाल, श्रीलंका, अमेरिका और यूरोप के प्रतिनिधियों ने भाग लिया है। भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने उद्घाटन समारोह में कहा, “शांति केवल एक लक्ष्य नहीं, बल्कि एक सतत अभ्यास है। भूटान इस अभ्यास को विश्व के साथ साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है।”
फेस्टिवल के दौरान पारंपरिक भूटानी नृत्य, मंत्रोच्चारण, ध्यान सत्र और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी आयोजित की जा रही हैं, जो भूटान की समृद्ध विरासत और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस आयोजन को "21वीं सदी का आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन" करार दिया है।
भूटान का यह प्रयास उस समय सामने आया है जब विश्व कई मोर्चों पर संघर्ष, अस्थिरता और विभाजन का सामना कर रहा है। ऐसे में यह फेस्टिवल एक प्रेरणादायक उदाहरण बनकर उभरा है कि कैसे एक छोटा राष्ट्र भी वैश्विक शांति की दिशा में बड़ा योगदान दे सकता है।

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