चीन का नया K-वीज़ा: वैश्विक तकनीकी प्रतिभाओं को आकर्षित करने की रणनीति, भारतीय पेशेवरों के लिए नया विकल्प
बीजिंग, 11 नवंबर 2025 — चीन ने वैश्विक तकनीकी प्रतिभाओं को आकर्षित करने के उद्देश्य से एक नया और लचीला K-वीज़ा पेश किया है, जिसे अमेरिका के H-1B वीज़ा के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। यह वीज़ा विशेष रूप से उन पेशेवरों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, और अन्य उभरती तकनीकों के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं।
K-वीज़ा की प्रमुख विशेषताओं में दीर्घकालिक निवास की सुविधा, पारिवारिक साथ रहने की अनुमति, और कार्यस्थल बदलने की स्वतंत्रता शामिल है। इसके तहत वीज़ा धारक चीन में कई वर्षों तक रहकर काम कर सकते हैं, और उन्हें स्थानीय स्टार्टअप्स, अनुसंधान संस्थानों, तथा तकनीकी कंपनियों में योगदान देने का अवसर मिलेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह वीज़ा भारत जैसे देशों के तकनीकी पेशेवरों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन सकता है, जहाँ बड़ी संख्या में इंजीनियर और आईटी विशेषज्ञ अमेरिका के H-1B वीज़ा पर निर्भर रहते हैं। चीन की यह पहल वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा में उसकी भूमिका को और मज़बूत कर सकती है।
चीन सरकार ने इस वीज़ा को ऐसे समय पर लॉन्च किया है जब अमेरिका ने अपने वीज़ा नियमों को सख्त किया है, जिससे कई विदेशी पेशेवरों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। K-वीज़ा के माध्यम से चीन न केवल प्रतिभा को आकर्षित करना चाहता है, बल्कि अपनी तकनीकी अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भी बनाना चाहता है।
यह वीज़ा नीति चीन की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह खुद को नवाचार और तकनीकी नेतृत्व के केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहता है। भारतीय पेशेवरों के लिए यह एक नया अवसर हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो वैश्विक मंच पर अपने कौशल का विस्तार करना चाहते हैं।
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