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हरियाणा में धान खरीद घोटाला: मिलर्स और सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से किसानों के साथ MSP पर धोखाधड़ी

 

हरियाणा में धान खरीद घोटाला: मिलर्स और सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से किसानों के साथ MSP पर धोखाधड़ी

चंडीगढ़। हरियाणा में धान खरीद सीजन के दौरान सामने आए घोटाले ने राज्य की मंडी व्यवस्था और सरकारी तंत्र की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि राइस मिलर्स और सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर किसानों के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बड़ा घपला किया। इस मामले में कई मंडियों से लेकर मिलों तक अनियमितताओं के सबूत मिले हैं।

कैसे हुआ खुलासा

धान खरीद की शुरुआत में ही किसानों ने शिकायत की थी कि मंडियों में उनकी फसल का सही तौल नहीं हो रहा और कई जगहों पर फर्जी गेट पास बनाकर धान की खरीद दिखाई जा रही है। किसानों का कहना था कि उन्हें MSP से कम दाम दिए जा रहे हैं, जबकि सरकारी रिकॉर्ड में पूरा भुगतान दिखाया जा रहा है।

जांच में क्या सामने आया

करनाल, कुरुक्षेत्र और कैथल जिलों में जब प्रशासन ने फिजिकल वेरिफिकेशन किया तो कई राइस मिलों में सरकार का धान स्टॉक गायब मिला। मंडियों में जारी गेट पास और वास्तविक खरीद में भारी अंतर पाया गया। जांच में यह भी सामने आया कि मंडी सचिव, निरीक्षक और कुछ अन्य अधिकारी इस खेल में शामिल थे।

सरकार की कार्रवाई

मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया है और एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। करनाल के डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने भी मिलर्स पर सख्ती दिखाते हुए कई लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

किसानों और विपक्ष की प्रतिक्रिया

किसान संगठनों ने इस घोटाले को किसानों के साथ सीधा विश्वासघात बताया है। भारतीय किसान यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन करेंगे। विपक्षी दलों ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह घोटाला करोड़ों रुपये का है और इसमें बड़े स्तर पर मिलीभगत हुई है।


धान खरीद घोटाले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि MSP पर खरीद की प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही की भारी कमी है। किसानों का भरोसा तभी लौटेगा जब दोषियों को सख्त सज़ा मिलेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।


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