यूक्रेन युद्ध एक बार फिर तेज़ मोड़ पर पहुँच गया है। रूस ने डोनबास क्षेत्र को पूरी तरह कब्ज़े में लेने की घोषणा की है, जिससे संघर्ष और अधिक गंभीर हो गया है। रूसी नेतृत्व का कहना है कि डोनबास पर नियंत्रण उनकी सैन्य रणनीति का मुख्य लक्ष्य है और इसके लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जाएगा। दूसरी ओर, यूक्रेन ने जवाबी कार्रवाई तेज़ करते हुए रूस की तेल रिफाइनरियों पर लगातार हमले किए हैं। इन हमलों से रूस की ऊर्जा आपूर्ति और आर्थिक ढाँचे पर गहरा असर पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि डोनबास पर कब्ज़ा रूस के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जबकि यूक्रेन की रणनीति रूस की आर्थिक रीढ़ को कमजोर करने पर केंद्रित है। इस संघर्ष ने न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाया है, बल्कि वैश्विक ऊर्जा बाज़ार और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डाला है।
संयुक्त राष्ट्र और पश्चिमी देशों ने इस बढ़ते संघर्ष पर चिंता व्यक्त की है और शांति वार्ता की अपील की है। हालांकि, वर्तमान हालात यह संकेत देते हैं कि युद्ध अभी लंबा खिंच सकता है और इसके परिणाम दूरगामी होंगे।
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